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Benjamin Netanyahu biography in hindi.Political career,major decisions.

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बेंजामिन का जन्म इजरायल की राजधानी तेल अवीव में हुआ सन् 1949 में। उनके जन्म के महज एक साल पहले ही इजरायल बतौर राष्ट्र अस्तित्व में आया था।शुरुआती पढ़ाई येरुशलम में हुई।

1963 में पिताजी को एक अमेरिकी यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर की नौकरी मिली, तो पूरा परिवार वहां चला गया। अमेरिकी माहौल में ढलने में उन्हें कोई खास दिक्कत नहीं हुई। उनके लिए अमेरिका नया मुल्क नहीं था। पहले भी माता-पिता कुछ वर्ष अमेरिका में रह चुके थे।

18 की उम्र में बेंजामिन इजरायल लौट आए और उन्होंने 5 साल इजरायल की सेना की एक एलीट कमांडो यूनिट “सायरैत मतकल” के कप्तान के रूप में बिताए।इसे भारत की पैरा कमांडो फोर्स के बराबर माना जाता है। उन्होंने 1968 में बेरूत के हवाई अड्डे पर सायरेत मटकल द्वारा डाले गए एक छापे में भाग लिया और 1973 के मध्य पूर्व युद्ध भी लड़ा।

नेतन्याहू ने अपने राजनैतिक करियर की शुरुआत 1988 में लिकुड पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़कर की। इस चुनाव में उन्हें जीत हासिल हुई और वह इजरायली संसद नेसेट के सदस्य बने। उनकी राजनीतिक महत्वकांक्षा को देखते हुए सरकार में उन्हें उप विदेश मंत्री का पद दिया गया। इसके बाद वे लिकुड पार्टी के अध्यक्ष भी चुने गए।

असल नाम – बेंजामिन बी बी नेतन्याहू

जन्म – 21 अक्टूबर 1949 (आयु 72)
तेल अविव , इजरायल

राजनीतिक दल -लिकुड

जीवन संगी -Miriam Weizmann (Until 1978)
Fleur Cates (1981–1984)
Sara Ben-Artzi (1991–वर्तमान)

निवास– यरूशलेम

शैक्षिक सम्बद्धता– मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टैक्नोलॉजी
हार्वर्ड विश्वविद्यालय

धर्म– यहूदी

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बेंजामिन नेतन्याहू का राजनीतिक सफ़र।

1996 में पहली बार प्रधानमंत्री बने।

1996 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इजित्स राबिन की हत्या के बाद हुए चुनाव में नेतन्याहू पहली बार इजरायल के प्रधानमंत्री बने। नेतन्याहू देश के पहले ऐसे प्रधानमंत्री थे जिनका जन्म इजरायल के आजादी के बाद हुआ था। वह उस समय देश के सबसे युवा प्रधानमंत्री भी थे। ओस्लो समझौते के कारण 1999 में लिकुड पार्टी चुनाव हार गई और नेतन्याहू को अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना पड़ा और एहुद बराक प्रधानमंत्री बने।

लगातार 4 बार प्रधानमंत्री बने।

2001 में एरियन शेरोन की सरकार बनने के बाद नेतन्याहू की फिर वापसी हुई और वह राजनीति में दोबारा सक्रिय हो गए। 2005 में एरियल शेरोन को लकवा मारने के कारण वे फिर से पार्टी के अध्यक्ष बन गए। 2009 में हुए चुनाव में वे दोबारा इजरायल के प्रधानमंत्री बने। इसके बाद उन्होंने 2013 और 2015 में भी प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। हालांकि, प्रधानमंत्री के रूप में यह उनका पांचवा कार्यकाल है।

इजरायली पार्लियामेंट में आने से पहली बेंजामिन नेतन्याहू के पास एंबेसडर पोजिशन  है।उन्होंने 1988-91 तक डेप्युटी मिनिस्टर ऑफ फॉरेन अफेयर्स के तौर पर काम किया।प्रधान मंत्री यिट्ज़ार शामिक के कैबिनेट में वे डेप्युटी मिनिस्टर के तौर पर काम कर चुके हैं।

प्राइम मिनिस्टर नेतन्याहू पहली बार तब सुर्खियों में आए थे जब उन्होंने 1993 में इजरायल -PLO शांति संधि का विरोध किया था।वे वेस्ट बैंक और गजा पट्टी से इजरायली सैना के वापस आने से भी नाखुश थे।

बेंजामिन नेतन्याहू का शुरू से ही कट्टरपंथी इस्लामी और पलेस्टिनियो के प्रति कड़ा रुख रहा है।1996 में नेतन्याहू की सरकार में अल अक्सा मस्जिद के पास सुरंग बनाई गई जिसका इस्लामियों ने कड़ा विरोध किया था।इसी के साथ नेतन्याहू ने पलिस्टिन्यों को दी जाने वाली जमीन भी कम करी थी।

नेतन्याहू ने अपने फॉरेन अफेयर्स को मजबूत किया और अपनी कूटनीति से इंटरनेशनल वर्ल्ड को साथ लेकर ईरान में चल रहे न्यूक्लियर रिएक्टर को ध्वस्त किया।कहा जाता है कि ईरान का परमाणु समर्थ देश होना पूरी दुनिया के लिए खतरा है।

अपने प्रधान मंत्री के कार्यकाल में उन्होंने कई चुनौतियों का सामना किया।इसमें बाहरी आतंकवाद से लडने के अलावा अपने देश में कमियां को दूर करना भी था।

2014 में नेतन्याहू सरकार ने गजा पट्टी में बड़े ऑपरेशन को अंज़ाम दिया । इंटरनेशनल वर्ल्ड को बताया गया कि यह एक्शन सेल्फ डिफेंस में लिया गया है परन्तु पलेस्टिनी नागरिकों की मौत के कारण उन्हें कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा।

इसके मध्य बेंजामिन को कई बार अपनी सरकार बचाए रखने के लिए कोलिशन गवर्नमेंट का सहारा लेना पड़ा।लेकिन नेतन्याहू अपनी कड़ी राजनीति से सरकार बचाने में कामयाब रहे हैं।

एक बार फिर से बेंजामिन की सरकार गाजा पट्टी पर संगर्ष शुरू हो गया है।इजरायली फोर्सेज और पलेस्तिनी आतंकवादी संगठन हमास के बीच संघर्ष जारी है। अपने कड़े रुख के लिए प्रसिद्ध नेतन्याहू इस बार भी पल्स्टिनी आतंकवादियों का डटकर सामना कर रहे हैं।

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बेंजामिन नेतन्याहू से जुड़ी कंट्रोवर्सी।

विरोधिओं का बेंजामिन पर आरोप है कि उन्होंने अपना नाम सिर्फ इसलिए बदला था कि अमेरिकी उनका नाम आसानी से बोल सके।
अमेरिका में उन्होंने अपना नाम बेंजामिन नेतन्याहू से बदलकर बेंजामिन बेन निताई कर लिया।

बेंजामिन अपनी लेविश लाइफस्टाइल के चलते हैं हमेशा विरोधियों की आंखो में चुभते रहें हैं।अनपर इजरायली टैक्सपेयर्स का पैसा सोहरत में उड़ने का आरोप लगता रहा है।

2001 में बेंजामिन पर मीमरान से 40000 डॉलर लेने का आरोप लगा जिसके चलते उन्हें कड़ी आलोचना सहनी पड़ी।हालांकि ,बेंजामिन ने उसे दान करार दिया।

बेंजामिन ने जर्मन कंपनी के साथ सबमरीन डील करी जिसके चलते उन्हें कड़ी आलोचना सहनी पड़ी ।इसी के साथ उनपर एक frenchman से डोनेशन लेने का आरोप लगा जिसने काफी सुर्खियां बटोरी।

अपने कार्यकाल में कई बार अनपर कर दातायों का पैसा अपने एश और आराम की जरूरत पूरी करने में लगते रहे हैं।साल 2003 में अपनी फैमिली के साथ सरकारी संसाधनों से घूमने का आरोप लगा।2013 में अपने लिए सानदार 3 बंगलो बनाने का आरोप लगा।

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बेंजामिन से जुड़े कुछ अनजाने तथ्य।

बेंजामिन का जन्म तेल आविव में हुआ ।उनकी माता का जन्म इजरायल ने हुआ था जबकि पिता वारसॉ में जन्मे थे।

बेंजामिन के पिता बहुत सिक्षित व्यक्तित्व थे।बेंजामिन ने कुछ साल अपने पिता के साथ अमेरिका में बिताए।फिर अपने अपने स्वदेश लौटकर आर्मी ज्वाइन करी।

1967-70 के वॉर ऑफ अटरीशन में बेंजामिन ने बहुत क्रॉस बॉर्डर असॉल्ट रेडस करी और टीम को फ्रंट से लीड किया।

1972 में hijacked सबेना फ्लाइट 571 को बचाने में उनके कंधे पर गोली लगी।आगे चल कर उन्होंने योम किप्पुर वॉर में भी हिस्सा लिया।

बेंजामिन के परिवार का सेना से भी लगाव रहा है।बेंजामिन के बड़े भाई योनतन नेतन्याहू ऑपरेशन  Entebbe में आंतकियो से लड़ते हुए शहीद हो गए थे।इसके बाद बेंजामिन ने 1978 में एक एनजीओ चलाया जिसका उद्देश्य ट्टेरराइज्म को खतम करना था।

बेंजामिन का राजनीति में पहला कदम एक डायरेक्टर के रूप में रखा जब वह जेरुसलेम ने रिम इंडस्ट्रीज के लिए काम करते थे।इसके बाद उनका सफ़र सबसे नौजवान इजरायली प्रधान मंत्री के रूप में शुरू हुआ।

वर्तमान में बेंजामिन नेतन्याहू ।

इजराइल की सेना और हमास के बीच खूनी लड़ाई पिछले कई दिनों से जारी है। इस लड़ाई में अभी तक दर्जनों लोगों की जानें जा चुकी हैं। माना जा रहा है कि यह लड़ाई अब इतनी जल्दी खत्म होने वाली नहीं है, इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने भी इस बात पर मुहर लगा दी है। उन्होंने कहा है कि गाजा पट्टी में इस्लामिक हमास मूवमेंट के साथ जारी लड़ाई को खत्म होने में समय लगेगा। एक बयान में उन्होंने कहा कि गाजा में हमास के खिलाफ इजराइल का हवाई अभियान इतनी जल्दी खत्म नहीं होगा।

2014 के बाद से दोनों पक्षों के बीच सबसे भीषण संघर्ष में इजराइल और हमास 4 दिनों से लड़ रहे हैं। इस लड़ाई में अब तक कम से कम 103 फिलिस्तीनी और 8 इजराइली मारे गए हैं।

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