क्या है कोविड का कप्पा वैरिएंट? क्या है इसके लक्षण और बचने के उपाय?

कोरोना की दूसरी लहर ने देश में काफी तबाही मचाई। वहीं एक्सपर्ट की मानें तो अब तीसरी लहर भी दस्तक देने को तैयार है। इस बीच कोरोना के नए और घातक वैरिएंट्स ने लोगों ने के मन में डर पैदा कर दिया है।
हाल ही में उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस का नया वेरिएंट कप्पा का दूसरा केस सामने आया है जिसकी वजह से विशेषज्ञों और डॉक्टरों की चिंता बढ़ गई है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि यह वेरिएंट घातक साबित हो सकता है।
नई चर्चा में, भारत में कोविड के नए वेरिएंट कप्पा के दो मामले सामने आए हैं. उत्तर प्रदेश के लखनऊ में किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज में 109 सैंम्पल की जीनोम सीक्वेंसिंग के दौरान इसका पता चला था. कोविड के कप्पा वेरिएंट से पॉजिटिव हुए रोगियों में से एक, यूपी के संत कबीर नगर के 66 वर्षीय व्यक्ति की मृत्यु हो गई है, जिससे लोगों में दहशत पैदा हो गई है.
डेल्टा और कप्पा मिलने की हुई पुष्टि।
बीआरडी मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी विभाग ने इसकी जानकारी संतकबीर नगर जिले के सीएमओ को दे दी है। इसके बाद से उस मरीज की ट्रैवल हिस्ट्री से लेकर उसके परिवार के सदस्यों की जानकारी विभाग इकट़्ठा करने में जुट गया है।
संतकबीरनगर जिले में कोरोना के नए स्वरूप डेल्टा, डेल्टा प्लस और कप्पा मिलने की पुष्टि हो चुकी है। इनमें डेल्टा प्लस के एक मरीज की मौत भी हो चुकी है जबकि एमबीबीएस की छात्रा स्वस्थ्य हो चुकी है।
कप्पा वैरिएंट क्या है?
जैसा कि हम सब जानते हैं कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना वायरस के स्ट्रेन का नाम ग्रीक अल्फाबेटिकल लेबल्स (Greek alphabetical labels) पर रखा है। इस कड़ी में भारत में कोरोना वायरस के वैरिएंट स्ट्रेन का नाम डेल्टा और कप्पा पर रखा जाता है। डेल्टा प्लस वैरिएंट ( जो अन्य की तुलना में 60 फीसदी अधिक संक्रामक है) को बी.1.617.2 स्ट्रेन कहा जाता है। वहीं, कप्पा वेरिएंट को बी.1.617.1 का कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस स्ट्रेन की पहचान पिछले साल हुई थी।
हेल्थ एक्सपर्ट L452R म्यूटेशन की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं, क्योंकि यह वायरस को शरीर के नेचुरल इम्यून रिएक्शन से बचने में मदद करता है.
कोरोनोवायरस जीनोम का एक विश्वव्यापी डेटाबेस रखने वाले म्यूनिख स्थित GISAID के अनुसार, भारत ने अब तक 3,693 कप्पा सैम्पल जमा किए हैं. यह दुनिया में सबसे बड़ी संख्या है. पिछले 4 हफ्तों में, भारत में इस वेरिएंट के 2 सैंम्पल लिए गए थे.
क्या हैं कप्पा वेरिएंट के लक्षण?
विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना वायरस के कप्पा वेरिएंट से पीड़ित लोगों में खांसी, बुखार, गले में खराश जैसे प्राइमरी लक्षण दिखाई दे सकते हैं। वहीं, माइल्ड और गंभीर लक्षण कोरोनावायरस के अन्य म्यूटेंट्स के लक्षण की ही तरह होंगे। इस वैरिएंट को लेकर अभी शोध हो रहे हैं लिहाजा अभी इससे जुड़ी कई जानकारी सामने आ सकती है।
डेल्टा की तरह खतरनाक है कप्पा वैरिएंट
इन सबके बीच कप्पा वैरिएंट की इंट्री ने विभाग को मुश्किलों में डाल दिया है। क्योंकि यह डेल्टा वायरस का ही बदला स्वरूप है, जो डेल्टा प्लस की तरह खतरनाक है। डेल्टा प्लस को भारत में वैरिएंट ऑफ कंर्सन घोषित किया गया है। जबकि कप्पा वैरिएंट को डब्लूएचओ ने वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट घोषित कर चुका है। इसकी वजह से शासन ने सभी मरीजों की पूरी जानकारी तलब की है।
साथ ही संबंधित जिले के सीएमओ को यह निर्देश भी दिया गया है कि मरीजों की ट्रैवल हिस्ट्री से लेकर उनके परिवार के एक-एक सदस्यों की पूरी जानकारी इकट्ठा की जाए।
कप्पा वैरिएंट से बचाव।
कोरोना वायरस से बचाव के लिए प्रमुख हथियार मास्क, दो गज की दूरी और साफ सफाई हैं। अनावश्यक घर से बाहर न निकलें। किसी कारणवश घर से बाहर निकलते हैं, तो सर्जिकल मास्क पहनकर निकलें।
शारीरिक दूरी का पालन करें। साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखें। इम्यून सिस्टम मजबूत करने पर विशेष ध्यान दें। अपनी बारी आने पर कोरोना वैक्सीन जरूर लगवाएं। कोरोना वायरस के लक्षण दिखने पर खुद को आइसोलेट कर जांच करा लें।
कप्पा के बारे में क्या कहता है विश्व स्वास्थ्य संगठन?
कप्पा वैरिएंट को डब्ल्यूएचओ वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट (VOI) के रूप में चित्रित करता है.
डब्ल्यूएचओ ने वर्तमान में कोविड के इस प्रकार को चिंता के एक प्रकार के रूप में वर्गीकृत नहीं किया है.
वेरिएंट का नामकरण कैसे किया जाता है?
वेरिएंट का नाम देने के लिए, डब्ल्यूएचओ ने VOI और VOC के लिए ईजी-टू-प्रोनाउंस और नॉन-स्टिगमाटाइजिंग लेबल पर विचार करने के लिए वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों के एक समूह को बुलाया. इस समूह ने ग्रीक वर्णमाला, यानी अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा, कप्पा, आदि के अक्षरों का उपयोग करने की सिफारिश की, जो गैर-वैज्ञानिक समुदाय के लोगों की मदद करेंगे.
वेरिएंट के खिलाफ टीके कितने प्रभावी हैं?
हाल के एक अध्ययन में, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने कहा है कि कोवैक्सिन कप्पा के साथ-साथ कोरोनावायरस के बीटा और डेल्टा वेरिएंट के लिए भी प्रभावी था. कुछ दिनों पहले, यूनाइटेड स्टेट्स के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH) ने भी कहा था कि कोवैक्सिन ने कोरोनावायरस के अल्फा और डेल्टा दोनों वेरिएंट को प्रभावी रूप से बेअसर कर दिया है.
डेल्टा और कप्पा के बीच अंतर | Difference Between Delta And Kappa
ये दोनों वेरिएंट B.1.617 के एक ही वंश से संबंधित हैं. भारत में पहली बार अक्टूबर 2020 में पाए गए हैं. डेल्टा दुनिया भर में एक खतरे के रूप में उभरा है क्योंकि दुनिया में वर्तमान में ज्यादातर कोविड-19 मामले डेल्टा वेरिएंट के हैं. भारत में महामारी की दूसरी लहर भी डेल्टा वेरिएंट के कारण थी. डेल्टा प्लस नामक डेल्टा का एक और म्यूटेंट अब भारत सहित कई देशों में उभरा है.