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Tauktae क्या है? क्यों आते हैं चक्रवाती तूफ़ान और कैसे किया जाता है इनका नामकरण?

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तौकते क्या है?

भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने कहा कि अरब सागर के ऊपर बना दबाव का क्षेत्र अब चक्रवाती तूफान ‘तौकते’ में तब्दील हो गया है। इसके 18 मई के आसपास पोरबंदर तथा नलिया के बीच गुजरात तट को पार करने की संभावना है।

साइक्‍लोन ‘तोकते’ धीरे-धीरे ताकतवर होता जा रहा है। कर्नाटक में पिछले 24 घंटों के दौरान इस चक्रवात के कारण हुई भारी बारिश और तेज हवाओं के कारण तटीय और मध्य कर्नाटक में अलग-अलग घटनाओं में चार लोगों की मौत हो गई। उधर, गोवा में चक्रवातीय तूफान के कारण सामान्य जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। तूफान से कई पेड़ उखड़ गए जिनके नीचे दबकर एक शख्स की मौत हो गई।

तौकते नाम का अर्थ।

साल के पहले चक्रवाती तूफान का तौकते (ताउते) नाम इस बार म्यांमार की तरफ से रखा है। यह बर्मी शब्द है जिसका अर्थ होता है, अत्यधिक आवाज करने वाली छिपकली। सामान्य रूप से हर चक्रवात का नाम रखने के पीछे एक खास प्रक्रिया होती है। चक्रवातों का नाम विश्व मौसम विभाग के तहत आने वाले दुनिया भर में फैले वॉर्निंग सेंटर की तरफ से किया जाता है। इस पैनल में 13 देश हैं। इनमें भारत, पाकिस्तान, मालदीव, बांग्लादेश, मालदीव, म्यांमार, ओमान, श्रीलंका, थाईलैंड, ईरान, कतर, सउदी अरब, यूएई और यमन शामिल हैं। पिछले साल इन देशों ने 13 नाम सुझाए थे। इसके चलते चक्रवातों के 169 नामों की लिस्ट तैयार की गई थी।

इसलिए दिया जाता है चक्रवातों को नाम।

चूंकि एक चक्रवाती तूफान एक सप्ताह या इससे अधिक समय तक चलता है। एक समय में एक से अधिक तूफान आने पर मौसम विभाग से जुड़े व अन्य लोगों को किसी तरह का कन्फ्यूजन ना हो इसलिए इन तूफानों को नाम दे दिया जाता है। इससे आपदा चेतावनियां जारी करने और भविष्य में पिछले चक्रवातों का उल्लेख करने में आसानी होती है। सामान्य रूप से ट्रॉपिकल चक्रवातों के नाम क्षेत्रीय स्तर पर नियमों के अनुसार होते हैं।

तोकते से निपटने के लिए की गई तैयारियां।

एनडीआरएफ ने साइक्लोन के कारण उपजे हालातों के बीच राहत कार्य के लिए 79 टीमों को स्टैंड बाय पोजिशन पर रखा गया है। इसके अलावा 22 अतिरिक्त टीमों का इंतजाम भी किया गया है। एनडीआरएफ के अलावा सेना, नौसेना और तटरक्षक बलों की टीम को भी पानी के जहाजों और एयरक्राफ्ट्स के साथ राहत कार्यों में लगाया गया है। केंद्रीय जहाजरानी मंत्री मनसुख मंडाविया ने सभी बंदरगाहों और पश्चिमी तटों पर साइक्लोन तौकते से निपटने की स्थितियों की समीक्षा की।

चक्रवात ‘ताकते’ के तबाही मचा कर केरल के तट से दूर जाने के बावजूद राज्य के बांधों में रविवार को जल स्तर में बढ़ोतरी देखी गई। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने तीन जिलों एर्नाकुलम, इडुक्की और मलाप्पुरम के लिए रविवार को ऑरेंज अलर्ट जारी किया है जिसका मतलब है इन जिलों में भारी बारिश हो सकती है। मध्य केरल के जिलों में कई बांधों के जलग्रहण क्षेत्रों में भारी बारिश की सूचना है जिस वजह से अधिकारियों ने चेतावनी दी है। त्रिशूर प्रशासन ने कहा कि पेरिंगलकुथु बांध का जल स्तर 419.41 मीटर के पार जाता है तो बांध के शटर उठा दिए जाएंगे।

जरूरत पड़ी तो और भेजी जाएंगीं एनडीआरएफ टीमें।

कर्नाटक से लेकर गुजरात तक चक्रवात के कहर के बीच गृहमंत्री अमित शाह ने खुद आपदा नियंत्रण की कमान संभाली है। शाह ने रविवार दोपहर महाराष्ट्र, गुजरात समेत कई प्रदेशों के अधिकारियों और मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक कर हालात की समीक्षा की है। गृहमंत्री अमित शाह ने वर्चुअल बैठक में सभी राज्यों को हर संभव मदद देने का भरोसा दिया है। इसके अलावा यह भी बताया है कि एनडीआरएफ की अतिरिक्त टीमों को भी जरूरत पड़ने पर भेजा जा सकता है।

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कैबिनेट सचिव ने लोगों के रेस्क्यू पर दिया जोर।

कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने अरब सागर में चक्रवाती तूफान’ताउते’ से प्रभावित इलाकों से लोगों को निकालने के लिए सभी उपाय करने की जरूरत पर जोर दिया ताकि किसी भी तरह की जान-माल की क्षति से बचा जा सके। राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति (एनसीएमसी) के दौरान चक्रवात से उत्पन्न स्थिति की समीक्षा करते हुए, गौबा ने बिजली, दूरसंचार और अन्य महत्वपूर्ण सेवाओं को बहाल करने के लिए सभी तैयारी व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।

गुजरात में डेढ़ लाख लोग सुरक्षित स्‍थान पर पहुंचाए गए।

गुजरात में सावधानी बरतते हुए अब तक करीब डेढ़ लाख लोगों को सुरक्षित स्‍थान पर पहुंचा दिया गया। राज्‍य में किसी भी तरह के आपातकालीन हालात से निपटने के लिए स्‍वास्‍थ्‍य विभाग की टीम पूरी तरह मुस्‍तैद है।

उच्‍चस्‍तरीय बैठक में सभी हालातों पर की गई चर्चा।

इससे पहले, शनिवार को पीएम के साथ हुई उच्च स्तरीय बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव, कैबिनेट सचिव, गृह मंत्रालय, नागरिक उड्डयन, संचार, पोत परिवहन मंत्रालयों के सचिव, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के शीर्ष अधिकारी, रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष और प्रधानमंत्री कार्यालय तथा गृह मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों ने हिस्सा लिया। बैठक के दौरान तूफान से निपटने के लिए सभी जरूरी बातों पर चर्चा की गई।

चक्रवाती तूफान क्या होते हैं और इनके नाम कैसे रखे जाते हैं? आइए जानते हैं.

भारत और दुनिया भर के तटीय इलाके हमेशा चक्रवाती तूफानों से जूझते रहते हैं. चक्रवाती तूफानों को अलग-अलग जगह के हिसाब से अलग-अलग नाम दिया जाता है. साइक्लोन, हरिकेन और टाइफून, ये तीनों ही चक्रवाती तूफान होते हैं. उत्तरी अटलांटिक महासागर और उत्तरी-पूर्वी प्रशांत महासागर में आने वाले चक्रवाती तूफान हरिकेन कहलाते हैं. उत्तरी-पश्चिमी प्रशांत महासागर में आने वाले चक्रवाती तूफानों को टायफून और दक्षिणी प्रशांत और हिन्द महासागर में आने वाले तूफानों को साइक्लोन कहा जाता है. भारत में आने वाले चक्रवाती तूफान दक्षिणी प्रशांत और हिन्द महासागर से ही आते हैं इसलिए इन्हें साइक्लोन कहा जाता है।

इनके घूर्णन की दिशाएं भी अलग-अलग होती हैं. पृथ्वी के आधे ऊपरी हिस्से यानी उत्तरी गोलार्द्ध में आने वाले चक्रवाती तूफान घड़ी की सुई के चलने की दिशा यानी क्लॉकवाइज घूमते हैं जबकि दक्षिणी गोलार्द्ध में आने वाले तूफान घड़ी की सुई के चलने की विपरीत दिशा यानी एंटीक्लॉकवाइज चलते हैं. 

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क्यों आते हैं चक्रवात।

पृथ्वी के वायुमंडल में हवा होती है. समुद्र के ऊपर भी जमीन की तरह ही हवा होती है. हवा हमेशा उच्च दाब से निम्न दाब वाले क्षेत्र की तरफ बहती है. जब हवा गर्म हो जाती है तो हल्की हो जाती है और ऊपर उठने लगती है. जब समुद्र का पानी गर्म होता है तो इसके ऊपर मौजूद हवा भी गर्म हो जाती है और ऊपर उठने लगती है. इस जगह पर निम्न दाब का क्षेत्र बनने लग जाता है. आस पास मौजूद ठंडी हवा इस निम्न दाब वाले क्षेत्र को भरने के लिए इस तरफ बढ़ने लगती है. लेकिन पृथ्वी अपनी धुरी पर लट्टू की तरह घूमती रहती है. इस वजह से यह हवा सीधी दिशा में ना आकर घूमने लगती है और चक्कर लगाती हुई उस जगह की ओर आगे बढ़ती है. इसे चक्रवात कहते हैं.

चक्रवात तेजी से घूमती हवा होती है इसलिए इसका मध्य बिंदु हमेशा रिक्त होता है क्योंकि घूमती हुई हवा उस बिंदु के चारों ओर घूमती है लेकिन उस बिंदु तक नहीं पहुंचती. इसे चक्रवात की आंख कहते हैं. जो हवा गर्म होकर ऊपर उठती है उसमें नमी होती है. इसलिए चक्रवात में तेज हवाओं के साथ बारिश भी होती है. चक्रवात घूमते हुए आगे बढ़ता है और जब समुद्र के तट से टकराता है तो कमजोर पड़ने लगता है. इसका कारण जमीन पर हवा का उच्च दबाव होना है. चक्रवात की दिशा का अनुमान लगाया जाता है लेकिन चक्रवात का रास्ता निश्चित नहीं किया जा सकता. कई बार चक्रवात अपना रास्ता तट से टकराने से पहले हवा के दबाव के चलते बदल लेते हैं.

हवा की रफ्तार के हिसाब से इन चक्रवातों को पांच श्रेणियों में बांटा जाता है. श्रेणी एक में 119 किलोमीटर प्रति घंटा से 153 किलोमीटर प्रति घंटा रफ्तार तक, श्रेणी दो में 154 से 177 किलोमीटर प्रति घंटा, श्रेणी तीन में 178 से 208 किलोमीटर प्रति घंटा, श्रेणी चार में 209 से 251 किलोमीटर प्रति घंटा और श्रेणी पांच में 252 किलोमीटर प्रति घंटा और उससे अधिक रफ्तार के तूफान आते हैं.

कैसे होता है नामकरण।

तूफानों का औपचारिक नाम रखने की परंपरा 1950 में अमेरिका से शुरू हुई थी. इससे पहले कहा जाता है कि तूफानों के नाम नाविक अपनी प्रेमिकाओं के नाम पर रखते थे. इसलिए शुरुआत में औपचारिक रूप से तूफानों के नाम महिलाओं के नाम से होते थे. 70 के दशक से यह परंपरा बदल गई और तूफानों के नाम महिला और पुरुष दोनों के नाम पर होने लगे. सम संख्या वाले वर्षों में तूफानों के नाम महिलाओं के नाम और विषम संख्या वाले वर्षों में यह पुरुषों के नाम पर होता है.

2004 से हिंद महासागर में आने वाले तूफानों के नाम बांग्लादेश, भारत, मालदीव, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान, श्रीलंका और थाईलैंड मिलकर रखते हैं. हर तूफान का नाम इसी क्रम से एक देश रखता है. जैसे अक्टूबर 2018 में आए तितली तूफान का नाम पाकिस्तान ने रखा था. फानी तूफान का नाम बांग्लादेश ने दिया था. वायु तूफान का नाम भारत ने ही दिया है.

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