अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2021: योग दिवस क्यों मनाया जाता है,महत्व,थीम , इतिहास।

आज विश्व योग दिवस है. हर साल पुरी दुनिया 21 जून को विश्व योग दिवस मनाती है. लेकिन क्या आपको पता है कि योग को दुनियाभर में चर्चित भारत ने ही किया है. साल 2015 में ही विश्व योग दिवस की शुरूआत हो गई थी. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र को योग से 11 दिसंबर 2014 को अवगत कराया था. इसी समय विश्वभर में योग को पहचान दिलाने को लेकर भारत की तरफ से कवायद तेज कर दी गई थी. अंत में जाकर संयुक्त राष्ट्र के 193 देशों के सदस्यों ने योग दिवस मनाने को लेकर प्रस्ताव को मजूरी दे दी थी.
आंकड़ों की बात करें तो साल 2015 में जब पहली बार विश्व योग दिवस मनाया गया उस दौरान लगभग 10 करोड़ लोगों ने दुनियाभर में योग किया था. साथ ही इसमें से लगभग 3 करोड़ लोगों ने अकेले अमेरिका में योगाभ्यास किया था. अगर बीते सालों में योग दिवस क थीम्स की बाद करें तो साल 2015 में इसे पहली बार आयोजित किया गया था. इस दौरान इसका थीम भारत सरकार की तरफ से ‘सद्भाव के लिए योग’ रखा गया था. इस दौरान 84 देशों ने इसमें भाग लिया था.
योग के लिहाज से 21 जून क्यों है महत्वपूर्ण?
भारतीय संस्कृति के अनुसार यह दिन पूरे वर्ष का सबसे लम्बा दिन होता है यानी सूर्योदय से सूर्यास्त होने के बीच के समय का अंतराल सर्वाधिक होता है। इसी दिन से सूर्य की गति की दिशा दक्षिणायन होती है और सूर्य की यह दक्षिणायन स्तिथि योग के द्वारा आध्यात्मिक विधा प्राप्त करने के लिए सर्वाधिक उपयुक्त मानी गई है। 21 जून को ग्रीष्म ऋतु की संक्रान्ति भी कहा जाता है। यही कारण था कि इस दिन को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में चुना गया।
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2021 का महत्व
योग संस्कृत से निकला है, इसका अर्थ है जुड़ना या एक होना. योग शरीर और चेतना का मिलन है, ये रोज के जीवन में एक संतुलित जीवन शैली को बनाए रखता है. योग का पहला अंतर्राष्ट्रीय दिवस 15 जून, 2015 को विश्व स्तर पर मनाया गया. भारत के आयुष मंत्रालय ने एक कार्यक्रम आयोजित किया जिसमें पीएम मोदी के साथ 84 देशों के गणमान्य व्यक्तियों ने हिस्सा लिया था. राजघाट, नई दिल्ली में कुल 35,985 लोगों ने 21 योग मुद्राएं की थीं. ये बैठक सबसे बड़ी योग कक्षा थी.
21 जून को ही योग दिवस क्यों मनाया जाता है?
औपचारिक व अनौपचारिक योग शिक्षकों और उत्साही लोगों के समूह ने 21 जून के अलावा अन्य तारीखों पर विश्व योग दिवस को विभिन्न कारणों के समर्थन में मनाया।दिसंबर 2011 में, अंतर्राष्ट्रीय मानवतावादी, ध्यान और योग गुरू श्री श्री रविशंकर और अन्य योग गुरुओं ने पुर्तगाली योग परिसंघ के प्रतिनिधि मण्डल का समर्थन किया और दुनिया को एक साथ योग दिवस के रूप में 21 जून को घोषित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र को सुझाव दिया।
भारत के प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी की अपील के बाद 27 सितंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस के प्रस्ताव को अमेरिका द्वारा मंजूरी दी, जिसके बाद सर्वप्रथम इसे 21 जून 2015 को पूरे विश्व में विश्व योग दिवस के नाम से मनाया गया।
इसके पश्चात ‘योग: विश्व शान्ति के लिए एक विज्ञान’ नामक सम्मेलन 4 से 5 दिसम्बर 2011 के बीच आयोजित किया गया। यह संयुक्त रूप से लिस्बन, पुर्तगाल के योग संघ, आर्ट ऑफ़ लिविंग फ़ाउण्डेशन और SVYASA योग विश्वविद्यालय, बेंगलूर के द्वारा आयोजित किया गया। जगत गुरु अमृत सूर्यानन्द के अनुसार विश्व योग दिवस का विचार वैसे तो 10 साल पहले आया था लेकिन, यह पहली बार था जब भारत की ओर से योग गुरु इतनी बड़ी संख्या में इस विचार को समर्थन दे रहे थे।उस दिन श्री श्री रवि शंकर के नेतृत्व में विश्व योग दिवस के रूप में 21 जून को संयुक्त राष्ट्र और यूनेस्को द्वारा घोषित करने के लिए हस्ताक्षर किए गए।
निम्नलिखित सदस्य उस सम्मेलन में उपस्थित थे: श्री श्री रवि शंकर, संस्थापक, आर्ट ऑफ़ लिविंग; आदि चुन चुन गिरि मठ के श्री स्वामी बाल गंगाधरनाथ; स्वामी पर्मात्मानन्द, हिन्दू धर्म आचार्य सभा के महासचिव; बीकेएस अयंगर, राममणि आयंगर मेमोरियल योग संस्थान, पुणे; स्वामी रामदेव, पतंजलि योगपीठ, हरिद्वार; डॉ॰ नागेन्द्र, विवेकानन्द योग विश्वविद्यालय, बंगलुरू; जगत गुरु अमृत सूर्यानन्द महा राज, पुर्तगाली योग परिसंघ के अध्यक्ष; अवधूत गुरु दिलीपजी महाराज, विश्व योग समुदाय, सुबोध तिवारी, कैवल्यधाम योग संस्थान के अध्यक्ष; डा डी॰आर कार्तिकेयन, कानून-मानव जिम्मेदारियों व कारपोरेट मामलों के सलाहकार और डॉ॰ रमेश बिजलानी, श्री अरबिन्दो आश्रम, नई दिल्ली।
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की थीम:
हर साल योग दिवस अलग – अलग थीम के आधार पर मनाया जाता है. इस साल की थीम है ‘बी विद योग, बी, एट होम’ होगी यानी ‘योग के साथ रहें, घर पर रहें’. पिछले साल 2020 की थीम थी- ‘घर में रहकर योग करें.’
क्वारंटाइन और आइसोलेशन में COVID-19 रोगियों ने डिप्रेशन और दूसरे मनोवैज्ञानिक समस्याओं को देखा है. इसलिए, कल्याण के लिए योग एक उपयुक्त विषय है जो प्रत्येक व्यक्ति के ओवरऑल हेल्थ के लिए इस शारीरिक गतिविधि के योगदान पर केंद्रित है. साथ ही, अच्छी इम्यूनिटी के साथ, किसी का शरीर वायरस से लड़ सकता है और बीमारी से सुरक्षित हो सकता है. अलग-अलग योग मुद्राएं इम्यूनिटी को बढ़ाने में मदद करती हैं.
योग आपको सभी तरह के रोगों से दूर रखने में आपकी मदद करता है. हर व्यक्ति को ये कोशिश करनी चाहिए कि वो कम से कम आधा से एक घंटा हर दिन योग अभ्यास करे ताकि आपकी इम्यूनिटी के साथ-साथ आपकी सेहत को भी लाभ मिल सके. इसलिए ये बेहद जरूरी है कि आप अपने-अपने घरों पर ही योग जरूर से जरूर करें.
2015 में मनाया गया था पहला योग दिवस
भारत सहित दुनिया भर में 21 जून को योग दिवस धूमधाम से मनाया जाता है और सभी इसमें बढ़ चढ़कर शिरकत करते हैं. 21 जून के दिन की एक खासियत है कि यह वर्ष के 365 दिन में सबसे लंबा दिन होता है और योग के निरंतर अभ्यास से व्यक्ति को लंबा जीवन मिलता है इसलिए इस दिन को योग दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया गया. 21 जून, 2015 को पहला अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया था. संयुक्त राष्ट्र (United Nations) में भारत की पहल पर दुनिया के लगभग सभी देश स्वस्थ रहने के लिए योग के प्रसार की इस मुहिम में शामिल हुए थे.
योग दिवस पर संयुक्त राष्ट्र ने क्या कहा?
इस पहल को कई वैश्विक नेताओं से समर्थन मिला। सबसे पहले, नेपाल के प्रधानमंत्री सुशील कोइराला ने प्रधानमंत्री मोदी के प्रस्ताव का समर्थन किया। संयुक्त राज्य अमेरिका सहित 177 से अधिक देशों, कनाडा, चीन और मिस्र आदि ने इसका समर्थन किया है।”अभी तक हुए किसी भी संयुक्त राष्ट्र महासभा के संकल्प के लिए यह सह प्रायोजकों की सबसे अधिक संख्या है।”11 दिसंबर 2014 को 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सर्वसम्मति से ‘योग के अंतर्राष्ट्रीय दिवस’ के रूप में 21 जून को मंजूरी दे दी गयी।
योग के महत्व पर बल देते हुए श्री श्री रवि शंकर ने कहा कि योग आप को फिर से एक बच्चे की तरह बना देता है, जहाँ योग और वेदांत है वहां, कोई कमी, अशुद्धता, अज्ञानता और अन्याय नहीं है। हमें हर किसी के दरवाजे तक योग को ले जा कर दुनिया को दुखों से मुक्त कराने की आवश्यकता है।
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कॉविड समय में योग कैसे सहायक है?
लॉकडाउन के दौरान लोगों के घरों में कैद हो जाने से उनकी शारीरिक गतिविधियां लगभग रुक गई थी। ऐसे में जो लोग जिम जाते थे वे जिम नहीं जा पाए और जो लोग दौड़ लागते थे या मार्निंग वॉक करते वह भी ऐसा नहीं कर पाए। लेकिन इस दौरान उन लोगों ने घर में ही रहकर योग से अपने शरीर को सेहतमंद बनाए रखा।
कोरोना वायरस के चलते योग का महत्व पहले कि अपेक्षा इसलिए भी बढ़ा क्योंकि लोगों ने यह जाना की यह वायरस हमारे फेंफड़ों को कमजोर करता है और शरीर का ऑक्सीजन लेवल घटा देता है। इसलिए लोगों ने अपने फेफड़ों को सेहतमंद बनाए रखने के लिए योग के प्राणायाम को अपनाना कर अपना जहां अपने फेफड़े मजबूत किए वहीं शरीर का ऑक्सीजन लेवल भी बढ़ाया।
घर में ही रहकर लोगों ने यह भी जाना की हमें हमारी इम्युनिटी बरकरार रखनी होगी इसलिए भी उन्होंने योग के इम्युनिटी बढ़ाने वाले नुस्खे भी अपनाए।
लोगों ने जब यह जाना की कोरोना वायरस सबसे पहले नाक में, फिर गले में और अंत में यह फेफड़ों में फैलता है तो लोगों ने योग के नेतिकर्म के महत्व को भी समझा और इसके चलते उन्होंने अपने नाक और गले को साफ रखने का हर संभव प्रयास किया।
घर में रहकर योग को किसी माध्यम से सिखकर आसानी से कर सकते हैं जबकि जिम या अन्य तरह की कसरतें करने में कई तरह दिक्कते हैं और उनका इतना ज्यादा प्रभाव भी नहीं होता है।
आज के समय में सभी के जीवन में योग का बहुत अधिक महत्व है। वर्तमान में बढ़ती बीमारियों से निपटने के लिए योग बहुत जरूरी है। जिस प्रकार डायबिटीज के मरीज के लिए दवा जरूरी है, ठीक उसी प्रकार जीवन में योग बहुत आवश्यक है।
योग एक ऐसी दवा है, जो बगैर खर्च के रोगियों का इलाज करने में सक्षम है। वहीं यह शरीर को ऊर्जावान बनाए रखता है, यही कारण हैं कि युवाओं द्वारा बड़े पैमाने पर जिम और एरोबिक्स को छोड़कर योग अपनाया जा रहा है।
योग से शरीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक स्वास्थय भी प्राप्त किया जाता है। यह तनाव, अवसाद, चिंता, अनिद्रा आदि से छुटकारा दिलाकर मन-मस्तिष्क को शांत रखता है।
डाइबिटीज रोगियों, हाई और लो ब्लड प्रेशर और हृदय योग में योग बहुत ही फायदेमंद सिद्ध हुआ है। कोरोना काल में इन रोगियों को बहुत ही सावधान करने की आवश्यकता है। इसलिए भी योग का महत्व बढ़ा है।
लॉकडाउन में योग गुरुओं की डिमांड बढ़ गई है। लोग फोन पर, ऑनलाइन व वॉट्सऐप के माध्यम से योग गुरुओं से तनाव को दूर करने, इम्यूनिटी सिस्टम बढ़ाने, वर्क फ्रॉम होम में बॉडी पेन को भगाने और वजन कम करने के टिप्स ले रहे हैं।
भुजंगासन, मर्कटासन, भ्रामरी प्राणायाम, उद्गगीत व गहरी श्वास के साथ ध्यान कर लोग तनाव कम कर रहे हैं तो वहीं योग के कुछ खास आसन या सूर्य नमस्कार सिखकर लोग खुद को फिट रख रहे हैं।
लॉकडाउन में कई लोग घर में ही प्रत्येक दिन योगाभ्यास करने खुद को मानसिक और शारीरिक रूप से सेहतमंद बानाए रखकर कोरोना वायरस से बचे रहे हैं। कई अध्ययन हैं जो ये साबित कर चुके हैं कि शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग महत्वपूर्ण है।
लॉकडाउन में योग कई लोगों की दिनचर्या का हिस्सा बन गया है और इस दौरान योग का प्रचलन बढ़ा है। योग को इस दौरान नया ही आयाम मिला है। डॉक्टरों ने भी लोगों को योग करने की सलाह दी है।
विश्व योग दिवस से जुड़े विवाद।
इस दिवस का विवादों में अपना हिस्सा था। सरकार ने ‘अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस’ के दौरान विवाद से बचने के लिए “सूर्य नमस्कार” व “श्लोक” जप की अनिवार्यता को आधिकारिक योग कार्यक्रम से हटा दिया और मुसलमानों से इस आयोजन में भाग लेने की अपील की। आयुष मंत्री श्रीपद नाइक ने मुसलमानों से इस कार्यक्रम के दौरान श्लोक के स्थान पर अल्लाह के नाम को पढ़ लेने का सुझाव दिया।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सूर्य नमस्कार को धर्म के खिलाफ बताते हुए इसका विरोध किया।
योग से जुड़ी नरेंद्र मोदी की भूमिका
2014 में भारत के प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र दामोदरदास मोदी जी ने शपथ ग्रहण लिया। जिस अमेरिका ने उन्हें अपने देश के लिए प्रतिबंधित किया था उनकी प्रतिभा और हस्ती को देखकर अपने देश में निमंत्रण किया। नरेंद्र मोदी जब 2014 में अमेरिका के दौरे पर गए उस समय भारतीय संस्कृति के अनुसार नवरात्रि का समय चल रहा था। नरेंद्र मोदी नवरात्रि के दिनों में अन्न ग्रहण नहीं करते हैं। वह केवल गर्म पानी तथा नींबू पानी का सेवन करते है ,जानकारी के अनुसार केवल रात्रि को फलाहार करते हैं।
मोदी जी की विशेषता है वह अपने दैनिक जीवन में योग करते हैं।
पूरा विश्व नरेंद्र मोदी को देख रहा था ,वह अमेरिका दौरे के दौरान पूरे जोश के साथ कार्य कर रहे थे। उनका व्यस्त समय सारणी रहते हुए भी उनमें किसी प्रकार की थकान आदि को नहीं देखा गया। जब उन्होंने अमेरिका के राष्ट्रपति द्वारा उनके उर्जा का राज पूछा तब उन्होंने योग और अपने दिनचर्या को बताया, जिससे पूरा विश्व प्रभावित हुआ। एक अधिक उम्र का व्यक्ति योग के माध्यम से अपने शरीर पर किस प्रकार काबू पा सकता है दुनिया ने जान लिया था।
उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपना पहला भाषण 27 सितंबर 2014 को दिया और योग के महत्व को विश्व पटल पर रखते हुए योग को पूरे विश्व में लागू करने की वकालत की। विश्व ने उनकी बातों को सुना और उनके साथ सहमति जताते हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा को योग दिवस की दिशा में कार्य करने का सुझाव भी दिया।